शिरपुर (महाराष्ट्र) में विख्यात अंतरीक्ष पार्श्वनाथ भगवान की जमीन से अधर में बैठी प्रतिमा है।
यह दिगंबर जैन पवली मंदिर के कुए से 400 वर्ष पूर्व प्राप्त हुई थी , यह अपने आप मे आश्चर्य है।
शिरपुर मे मूल मराठी जैन दिगम्बर हैं और यहां कालांतर में श्वेताम्बर व्यापारियों का आगमन हुआ।
मराठी दिगम्बर जैन समाज का कहना हैं कि ये मंदिर हमेशा से उनका रहा है और पूजन अधिकार भी उनका ही है, जबकि श्वेताम्बर जैन समाज अपनी पद्धत्ति से पूजन आदि चाहती है। ।
1910 से कोर्ट मे केस चल रहा है और किसी को भी पूजन का अधिकार नही है क्योंकि कोर्ट के आदेश से मंदिर पर ताला लगा हुआ है ।
पूरे मंदिर मे 16 वेदियां हैं।
कानूनी विवाद का एक शताब्दी से अधिक का समय बीत चुका है
श्रावकों के विवाद भगवान को बंदी बना देते हैं।
एक भव्य प्रतिमा की अवमानना हो रही है
यह प्रतिमा व मंदिर की अन्य प्रतिमाएं दिगंबर आम्नाय की है ऐसा स्पष्ट है
दोनों पक्षों को यह विवाद सद्भाव व सौहार्द के साथ मिल बैठकर कर सुलझाना चाहिए और जैन धर्म के सच्चे अनुयायी होने का परिचय देना चाहिए
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*अगर आप दिगम्बर हैं तो आप मुट्ठी भर हैं, श्वेताम्बर हैं तो मुट्ठी भर हैं, स्थानकवासी हैं तो मुट्ठी भर हैं, तेरापंथी हैं तो मुट्ठी भर हैं, बीसपंथी हैं तो भी मुट्ठी भर हैं...*
*अगर आप जैन हैं तो दो करोड़ से ऊपर हैं*
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*आओ मिलकर प्रयास करें कि हम जैन बने*
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*" पंथ छोड़ो, धर्म को जोड़ो "*
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